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A Secret Weapon For Shiv chaisa

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कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥ शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥ पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ तुरत https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa

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